छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने राज्य के निर्माण श्रमिकों के लिए एक बड़ी राहत योजना लागू की है। इसका नाम है मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक पेंशन सहायता योजना, जिसे 29 मार्च 2023 को लॉन्च किया गया। इस योजना का संचालन श्रम विभाग कर रहा है और इसका उद्देश्य बुजुर्ग श्रमिकों को आर्थिक सुरक्षा प्रदान करना है।
पेंशन से मिलेगा आर्थिक सहारा
इस योजना के तहत पात्र और पंजीकृत श्रमिकों को हर महीने ₹1500 पेंशन दी जाएगी। यह राशि सीधे उनके बैंक खाते में जमा होगी। खास बात यह है कि यदि पेंशनधारी श्रमिक की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी पत्नी को ₹700 मासिक पारिवारिक पेंशन मिलती रहेगी। यह पहल उन हजारों परिवारों के लिए सहारा बनेगी, जिनके पास बुढ़ापे में स्थायी आय का कोई साधन नहीं है।
कौन उठा सकता है योजना का लाभ?
इस योजना का लाभ केवल उन श्रमिकों को मिलेगा जिनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक है। यदि पति-पत्नी दोनों पंजीकृत श्रमिक हैं और पेंशन प्राप्त कर रहे हैं, तो किसी एक की मृत्यु होने पर जीवित जीवनसाथी को ही पेंशन जारी रहेगी। वहीं, यदि विधवा की उम्र 60 वर्ष से कम है, तो उसे पारिवारिक पेंशन दी जाएगी और 60 की आयु पूरी होने पर मुख्य पेंशन योजना में शामिल कर लिया जाएगा।
हर साल देना होगा जीवित प्रमाण पत्र
पेंशन प्रणाली को पारदर्शी बनाए रखने के लिए सरकार ने जीवित प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य किया है। हर साल मार्च माह में लाभार्थियों को यह प्रमाण पत्र जमा करना होता है। पहली बार पेंशन प्राप्त करते समय भी यह दस्तावेज जरूरी है। प्रमाण पत्र न देने की स्थिति में पेंशन रोक दी जाएगी।
आवेदन की प्रक्रिया
फिलहाल इस योजना के लिए आवेदन ऑफलाइन मोड में ही स्वीकार किए जा रहे हैं। इच्छुक श्रमिकों को श्रम विभाग के कार्यालय में जाकर आवेदन करना होगा। आवेदन प्रक्रिया इस प्रकार है –
श्रम विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर फॉर्म डाउनलोड करना होगा।
आवेदन पत्र को सही तरीके से भरकर आवश्यक दस्तावेजों के साथ कार्यालय में जमा करना होगा।
दस्तावेजों की जांच के बाद आवेदन स्वीकृत होने पर पेंशन प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
किन दस्तावेजों की होगी आवश्यकता
आवेदन के समय श्रमिकों को पंजीकरण प्रमाण-पत्र, आधार कार्ड, बैंक पासबुक की कॉपी, आयु प्रमाण-पत्र, पासपोर्ट साइज फोटो और पारिवारिक पेंशन के लिए मृत्यु प्रमाण-पत्र देना आवश्यक है। ये दस्तावेज पात्रता और पहचान सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं।
क्यों खास है यह योजना
भारत के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पास अक्सर रिटायरमेंट के बाद कोई पेंशन या सुरक्षित आय का स्रोत नहीं होता। पूरी जिंदगी मजदूरी में गुजर जाने के बाद बुढ़ापे में उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो जाता है। ऐसे में छत्तीसगढ़ सरकार की यह पहल उनके लिए जीवनरेखा साबित हो सकती है।
बुजुर्ग श्रमिकों के लिए संजीवनी
₹1500 की मासिक पेंशन भले ही बड़ी राशि न लगे, लेकिन यह दवा, राशन और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में मददगार होगी। यह योजना बुजुर्ग श्रमिकों को आत्मसम्मान के साथ जीने का अवसर देती है और उनके जीवन को थोड़ा आसान बनाने का प्रयास है।